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गुरुवार, 27 सितंबर 2018

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What is adultery law, Section 497? व्यभिचार कानून, धारा-497 क्या है?


                   What is adultery law, Section 497?

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-497 के तहत यदि कोई शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ आपसी रजामंदी से शारीरिक संबंध बनाता है तो उक्त महिला का पति एडल्टरी (व्यभिचार) के नाम पर उस पुरुष के खिलाफ केस दर्ज करा सकता है. हालांकि, ऐसा व्यक्ति अपनी पत्नी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता है और न ही विवाहेतर संबंध में लिप्त पुरुष की पत्नी इस दूसरी महिला के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है.
इस धारा के तहत ये भी प्रावधान है कि विवाहेतर संबंध में लिप्त पुरुष के खिलाफ केवल उसकी साथी महिला का पति ही शिकायत दर्ज कर कार्रवाई करा सकता है. किसी दूसरे रिश्तेदार अथवा करीबी की शिकायत पर ऐसे पुरुष के खिलाफ कोई शिकायत नहीं स्वीकार होगी.
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What is adultery law, Section 497? व्यभिचार कानून, धारा-497 क्या है? 

27 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने 27 सितंबर 2018 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एकमत से व्यभिचार कानून पर फैसला सुनाया. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली इस बेंच ने कहा कि किसी भी तरह से महिला के साथ असम्मानित व्यवहार नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में स्त्री और पुरुष के बीच विवाहेतर संबंध से जुड़ी IPC की धारा 497 को गैर-संवैधानिक करार दे दिया है. जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना और जस्टिस एम खानविलकर का फैसला सुनाया. जिसके बाद अन्य तीन जजों जस्टिस नरीमन, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने भी इस फैसले पर सहमति जताई.

           सुप्रीम कोर्ट का फैसला

1- मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि IPC की धारा सेक्शन 497 महिला के सम्मान के खिलाफ है.
 2- मुख्य न्यायधीश के अनुसार महिलाओं को हमेशा समान अधिकार मिलना चाहिए. महिला को समाज की इच्छा के हिसाब से सोचने को नहीं कहा जा सकता.
3- संसद ने भी महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा पर कानून बनाया हुआ है. चीफ जस्टिस ने कहा कि पति कभी भी पत्नी का मालिक नहीं हो सकता है.
4- चीफ जस्टिस और जस्टिस खानविलकर ने कहा कि व्याभिचार किसी तरह का अपराध नहीं है, लेकिन अगर इस वजह से आपका पार्टनर खुदकुशी कर लेता है, तो फिर उसे खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला माना जा सकता है.
5- इसके बाद सभी पांच जजों ने एक मत से इस धारा को असंवैधानिक करार दिया.

6- सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस आर एफ 7- नरीमन, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदू मल्होत्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर शामिल थे.

याचिकाकर्ता के बारे में

केरल के एक अनिवासी भारतीय जोसेफ साइन ने इस संबंध में याचिका दाखिल करते हुए आईपीसी की धारा-497 की संवैधानिकता को चुनौती दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था और जनवरी में इसे संविधान पीठ को भेजा था.

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